तुम सबको प्यारी लगती हो
सारे जहां से न्यारी लगती हो
जब सतरंगी आँचल लहराए
रंग बिरंगी तितली लगती हो
लहंगा, चुनरी,बिंदिया कंगन
दुल्हन नई नवेली लगती हो
तेरी कविता के हैं सब दीवाने
तू तो सब्को अच्छी लगती है
प्यारी बहना आज के युग की
तू शुभद्रा कुमारी लगती हो
मुकेश इलाहाबादी -----------
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