देखना ! फूल सा महकेंगे
अब्र के बादल सा बरसेंगे
बहुत दिनों बाद मिले हैं
अब, ये देर तक चहकेंगे
दोनों अपना सुख - दुःख
इक दूजे से कहेंगे -सुनेंगे
बिछड़ कर फिर ये दोनों
बहुत देर तक सिसकेंगे
यादों वादों और, बातों के
लम्बे -लम्बे ख़त लिखेंगे
उदास तनहा लम्हों में ये
मुकेश की ग़ज़लें सुनेंगे
मुकेश इलाहाबादी -------
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