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Wednesday, 27 July 2016

बे - बहर हैं हम

बे - बहर  हैं  हम
बे - शहर हैं हम

इक  ज़माने   से
दर- बदर हैं हम

अपने ही हाल से
बे -ख़बर हैं  हम

संसार  सागर मे
इक लहर हैं  हम

कोई चला ही नहीं 
सूनी, डगर हैं हम

मुकेश इलाहाबादी -

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