बे - बहर हैं हम
बे - शहर हैं हम
इक ज़माने से
दर- बदर हैं हम
अपने ही हाल से
बे -ख़बर हैं हम
संसार सागर मे
इक लहर हैं हम
कोई चला ही नहीं
सूनी, डगर हैं हम
मुकेश इलाहाबादी -
बे - शहर हैं हम
इक ज़माने से
दर- बदर हैं हम
अपने ही हाल से
बे -ख़बर हैं हम
संसार सागर मे
इक लहर हैं हम
कोई चला ही नहीं
सूनी, डगर हैं हम
मुकेश इलाहाबादी -
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