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Monday, 20 March 2017

तारा जो सिर्फ और सिर्फ मेरा है

तनहाई,
एक समंदर
जसके बीचों - बीच
तेरी यादों का टापू है
जिसपे बैठ
निहारता हूँ
आकाश गंगा के
अन्तं तारों के बीच
उस शुक्र तारे को
जिसपे तेरा नाम लिखा है

वो शुक्र तारा जो सिर्फ
और सिर्फ मेरा है

सुमी - तुम्ही से

मुकेश इलाहाबादी --

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