मन
और देह
पाइथागोरस का प्रमेय भी नहीं
कि, हल कर लिया जाये
गणित के किसी फार्मूले से
मन और देह
द्र्व्यमान और सूर्य की किरणे भी नहीं
कि, बांध लिया जाए
e=mcᒾ के सूत्र में
शायद मन और देह
ऐसे सवाल जिसे सुलझाने में
और भी उलझ जाते हैं
और भी गुत्थम - गुत्था हो जाते हैं हम
ओ ..... रे मन .... ओ ..... री देह .....
(सुन रही हो न सुमी )
मुकेश इलाहाबादी ---
और देह
पाइथागोरस का प्रमेय भी नहीं
कि, हल कर लिया जाये
गणित के किसी फार्मूले से
मन और देह
द्र्व्यमान और सूर्य की किरणे भी नहीं
कि, बांध लिया जाए
e=mcᒾ के सूत्र में
शायद मन और देह
ऐसे सवाल जिसे सुलझाने में
और भी उलझ जाते हैं
और भी गुत्थम - गुत्था हो जाते हैं हम
ओ ..... रे मन .... ओ ..... री देह .....
(सुन रही हो न सुमी )
मुकेश इलाहाबादी ---
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