Pages

Tuesday, 21 March 2017

मन और देह पाइथागोरस का प्रमेय भी नहीं

मन
और देह
पाइथागोरस का प्रमेय भी नहीं
कि, हल कर लिया जाये
गणित के किसी फार्मूले से

मन और देह
द्र्व्यमान और सूर्य की किरणे भी नहीं
कि, बांध लिया जाए
e=mcᒾ के सूत्र में

शायद मन और देह
ऐसे सवाल जिसे सुलझाने में
और भी उलझ जाते हैं
और भी  गुत्थम - गुत्था हो जाते हैं हम

ओ .....  रे मन ....  ओ .....  री देह  .....

(सुन रही हो न सुमी )

मुकेश इलाहाबादी ---

No comments:

Post a Comment