भीड़ बुलाएँ, उठो मदारी
खेल दिखाएँ, उठो मदारी
खाली पेट जमूरा सोया
चाँद उगाएँ, उठो मदारी
रिक्त हथेली नई पहेली
फिर सुलझाएँ, उठो मदारी
अन्त सुखद होता है दुख का
हम समझाएँ, उठो मदारी
देख कबीरा भी हँसता अब
किसे रूलाएँ, उठो मदारी
pradeep kant kee gazal
kavita kosh se saabhar
खेल दिखाएँ, उठो मदारी
खाली पेट जमूरा सोया
चाँद उगाएँ, उठो मदारी
रिक्त हथेली नई पहेली
फिर सुलझाएँ, उठो मदारी
अन्त सुखद होता है दुख का
हम समझाएँ, उठो मदारी
देख कबीरा भी हँसता अब
किसे रूलाएँ, उठो मदारी
pradeep kant kee gazal
kavita kosh se saabhar
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