यादों
के पत्ते पर
तुम्हारे नाम का चराग़ जला कर
वक़्त के दरिया में बहा आया हूँ
देखना ये चराग़ कभी न कभी तुम तक पंहुचेगा ज़रूर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
के पत्ते पर
तुम्हारे नाम का चराग़ जला कर
वक़्त के दरिया में बहा आया हूँ
देखना ये चराग़ कभी न कभी तुम तक पंहुचेगा ज़रूर
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------
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