जेठ
के तपते मौसम में
तुम करना 'प्रेम'
मै तुम पर
फेंकूँगा बर्फ के लड्डू
फिर तुम खिलखिला के
लिपट जाना हमसे
माघ पूस
की ठण्ड में
तुम करना 'प्रेम'
सुबह की नर्म गर्म धूप
सा उतर आऊंगा
और लिपट जाऊँगा तुमसे
सावन भादों
के मौसम में
तुम करना 'प्रेम'
मै बादल बन बरसूँगा
तुम भीगना झम झमा झम
मुकेश इलाहाबादी -----------
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