Pages

Thursday, 27 July 2017

क़तरा- क़तरा प्यासा निकला

क़तरा- क़तरा प्यासा निकला
दिल का दरिया सूखा निकला

चिकने -चिकने चेहरे के अंदर
भालू - बंदर - भेंडिया निकला

दिल में जिसके बर्फ  जमी थी
बहते आग का दरिया निकला

सावन में बादल का घूँघट ले
देखो देखो बाहर चँदा निकला

मुकेश, जनता गूंगी मंत्री भ्रष्ट
राजा भी अपना बहरा निकला

मुकेश इलाहाबादी -----------

No comments:

Post a Comment