न
जाने कब चुपके से
रख गयी हो 'तुम'
मेरे ज़ेहन की अलमारी में 'कस्तूरी'
आज तक महकती है मेरी साँसे
मेरी रातें
मेरा दिन
मुकेश इलाहाबादी ------------
जाने कब चुपके से
रख गयी हो 'तुम'
मेरे ज़ेहन की अलमारी में 'कस्तूरी'
आज तक महकती है मेरी साँसे
मेरी रातें
मेरा दिन
मुकेश इलाहाबादी ------------
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