देखना
एक दिन 'मै'
घुल जाऊंगा
हवा, पानी, मिट्टी में
मिल जाऊँगा
घुल - घुल कर
आकाश बन जाऊँगा
और फिरलिपट जाऊँगा
तुम्हारे इर्द - गिर्द फैले 'रिक्तस्थान' में
मुकेश इलाहाबादी --------------
एक दिन 'मै'
घुल जाऊंगा
हवा, पानी, मिट्टी में
मिल जाऊँगा
घुल - घुल कर
आकाश बन जाऊँगा
और फिरलिपट जाऊँगा
तुम्हारे इर्द - गिर्द फैले 'रिक्तस्थान' में
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment