आकाश जाते जाते कह गया था 'पूजा, आज तुम सब्जी ले आना मुझे ऑफिस से आने में देर हो जाएगी' .
लिहाजा पूजा ने जल्दी जल्दी बर्तन धोये घर के काम निपटाए, अलमारी से 1000 /- का नोट निकला
और बाज़ार की तरफ चल दी, पूजा अपनी उधेड़बुन में चली जा रही थी, कि वह कॉलेज की लड़कियों के
एक झुण्ड से टकरा गयी. लड़कियां 'सॉरी , आंटी ' कह के आगे बढ़ गयीं। पूजा कुछ समझ पाती तब तक
लड़कियों का झुण्ड पास के ही रेडीमेड कपड़ों शोरूम में घुस गया। पूजा भी जाने क्या सोच कर उसी शोरूम
में घुस गयी। लड़कियां हंसती ठिठोली करती कपड़ें देखने लगीं , पूजा को भी अपने कॉलेज के दिन याद
आ गए। लड़कियों ने कई सेट सूट के देखे फिर शायद उन्हें कुछ समझ नहीं आया वे खिलखिलाती हुई
दुसरे शोरूम की तरफ चल दीं। पूजा को याद आया उसे तो कुछ लेना ही नहीं था वो तो ऐसे ही शोरूम में
आ गयी थी। अकबका के वो बाहर निकलने लगी तभी लगभग सत्रह - अठारह साल के एक लड़के ने
कहा 'दीदी आप को क्या दिखाऊं ?' पूजा ने दुकान में इधर उधर नज़र दौड़ाई सोचा शायद लड़के ने किसी
और को 'दीदी' कहा हो। वो कुछ समझ पाती। लड़के ने फिर कहा 'दीदी , क्या दिखाऊं स्कर्ट दिखाऊं या
शॉर्ट्स दिखाऊं ? पूजा मन्त्र मुग्ध सी खड़ी सोच रही थी ' वह उम्र के जिस पड़ाव में है वो न जवानी के हैं
और न ही अधेड़ अवस्था के हैं, हाँ बच्चों के हो जाने, अपनी कुछ लापरवाही के कारण शरीर कुछ बेडौल
हो गया था, और अब तो कई सालों से बड़े बड़े लड़कियां और लड़के उसे 'ऑन्टी ' कह के पुकारते थे।
और उसने भी अपने लिए ये सम्बोधन स्वीकार कर लिया था। पर आज इस लड़के के 'दीदी' कहने से
कुछ अलग सा महसूस करने लगी। पूजा अपने आप को भी अभी अभी कॉलेज से निकली हुई लड़की
समझने लगी। अभी वह ये सब सोच ही रही थी। लड़के ने फिर कहा ' दीदी ' देखिये ये स्कर्ट आप के
ऊपर बहुत फबेगी ' पूजा ' अरे नहीं अब ये सब पहनने की मेरी उम्र नहीं रही ' लड़का ' अरे दीदी आप
कैसी बात करती हैं। ये स्कर्ट आप पे बहुत जंचेगी आप ट्रायल रूम में जा कर देख सकती हो ट्राई कर के
अरे यहाँ तो आप से उम्र में बहुत बड़ी बड़ी औरतें भी स्कर्ट और ट्रॉउज़र ले जाती हैं। लड़के के बार बार
मनुहार और कहने में आ कर पूजा ने बात टालने की गरज़ में पूछ लिया ' कितने की है ?' '१५०० की है
दीदी ' वो कुछ नहीं बोली कहा 'ठीक है बाद में देखते हैं '
'दीदी ' आप बताओ आप कितना देना चाहती हो ?
' नहीं अभी नहीं फिर कभी लें गे हम तो ऐसे ही आ गए थे '
'दीदी कोइ बात नहीं आप बताओ तो आप कितना देना चाहती हो ?
आप के ऊपर ये बहुत अच्छी लगेगी इस लिए भी कह रहा हूँ '
पूजा ने बात टालने की गरज़ से कहा 'हज़ार' ठीक है दीदी कोइ बात नहीं आप ले जाओ, चीज़ न पसंद
आये तो वापस कर जाइएगा' पूजा ने अपने पर्स से एकलौता एक हज़ार का नोट निकाल के दे दिया।
और अपने हाथ में स्कर्ट का बैग ले कर खुशी खुशी शोरूम से निकलने लगी।
तभी सामने से वो लड़कियां भी कुछ कपडे खरीद के आ रही थी उनके भी कंधो और हाथों में बैग थे।
पूजा के कदम कुछ खुश खुश बढ़ रहे थे घर की ओर , बिना सब्जी लिए ये सोचते हुए 'कोई बात नहीं
आज सब्जी की जगह कढ़ी चावल से काम चला लेंगे '
सोनम गिल ------------
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