Pages

Sunday, 20 August 2017

विडंबना ही तो है,

विडंबना ही तो है,
---------------------
अनाज
से एक - एक कंकर,
पत्थर बीन कर अलग करने वाली औरत
ज़िदंगी भर नहीं पहचान पाती
या अलग कर पाती है
अपनी ज़िंदगी में आये कंकर पत्थर

मुकेश इलाहाबादी ---------

No comments:

Post a Comment