काश
मै इक सूखा पत्ता होता
जिसे छोड़ देता उड़ने के लिए
मौसम की बेदर्द हवाओं संग संग
जो कभी न कभी तो
थपेड़े खा खा कर तुम तक पहुंच ही जाता
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
मै इक सूखा पत्ता होता
जिसे छोड़ देता उड़ने के लिए
मौसम की बेदर्द हवाओं संग संग
जो कभी न कभी तो
थपेड़े खा खा कर तुम तक पहुंच ही जाता
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
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