Pages

Thursday, 3 August 2017

सूखा पत्ता

काश
मै इक सूखा पत्ता होता
जिसे छोड़ देता उड़ने के लिए
मौसम की बेदर्द हवाओं संग संग
जो कभी न कभी तो
थपेड़े खा खा कर तुम तक पहुंच ही जाता

मुकेश इलाहाबादी --------------------------- 

No comments:

Post a Comment