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Monday, 9 October 2017

तुम्हे छू लेना चाहता हूँ

मै
तुम्हे छू लेना चाहता हूँ
बिलकुल वैसे ही
जैसी सुबह की ठंडी बयार
छू कर गुज़र जाती है
किसी ताज़े खिले फूल को
और फिर देर तक महकती रहती है छत पे

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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