किसी को भरम में कभी न रक्खा करो
निभा न सको तो दोस्ती न किया करो
गर, रोशनी न कर सको, किसी के घर
किसी दहलीज़ से चराग बुझाया न करो
मेहमान नवाज़ी के अपने उसूल होते हैं
खातिरदारी न करो, तो बुलाया न करो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
निभा न सको तो दोस्ती न किया करो
गर, रोशनी न कर सको, किसी के घर
किसी दहलीज़ से चराग बुझाया न करो
मेहमान नवाज़ी के अपने उसूल होते हैं
खातिरदारी न करो, तो बुलाया न करो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
No comments:
Post a Comment