खुद को घिस कर चन्दन हो जाओ
कुछ ऐसा कर कि मधुबन हो जाओ
देख ले कोई भी अपनी सूरत तुझमे
ख़ुद को ऐसा माँझो, दर्पन हो जाओ
सारे तीरथ मात पिता के चरणों में
ऐसी सेवा कर,कि सरवन हो जाओ
सजन सुजान कह गए देह माटी की
पर कर्मो से, अनमोल रतन हो जाओ
भले गीत, ग़ज़ल, रुबाई कुछ भी गा
कुछ तो ऐसा गा मन मगन हो जाओ
मुकेश इलाहाबादी -------------------
कुछ ऐसा कर कि मधुबन हो जाओ
देख ले कोई भी अपनी सूरत तुझमे
ख़ुद को ऐसा माँझो, दर्पन हो जाओ
सारे तीरथ मात पिता के चरणों में
ऐसी सेवा कर,कि सरवन हो जाओ
सजन सुजान कह गए देह माटी की
पर कर्मो से, अनमोल रतन हो जाओ
भले गीत, ग़ज़ल, रुबाई कुछ भी गा
कुछ तो ऐसा गा मन मगन हो जाओ
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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