हया है नाज़ुकी है खुशबू है ख़ूबसूरती है
तू ऐसा फूल है जिसमे क्या कुछ नहीं है
जिस्म साँस लेता है,तो कह लो ज़िंदा हूँ
तुझ बिन ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है
जिसका पानी पी कर कोई भी न बचा
मुकेशजी मुहब्बत ऐसी ज़हरीले नदी है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
तू ऐसा फूल है जिसमे क्या कुछ नहीं है
जिस्म साँस लेता है,तो कह लो ज़िंदा हूँ
तुझ बिन ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है
जिसका पानी पी कर कोई भी न बचा
मुकेशजी मुहब्बत ऐसी ज़हरीले नदी है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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