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Wednesday, 4 April 2018

हया है नाज़ुकी है खुशबू है ख़ूबसूरती है

हया है नाज़ुकी है खुशबू है ख़ूबसूरती है
तू ऐसा फूल है जिसमे क्या कुछ नहीं है

जिस्म साँस लेता है,तो कह लो ज़िंदा हूँ
तुझ बिन ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है

जिसका पानी पी कर  कोई भी न बचा 
मुकेशजी मुहब्बत ऐसी ज़हरीले नदी है

मुकेश इलाहाबादी --------------------

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