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Tuesday, 17 July 2018

अक्सर जो बसे होते हैं सांसों में

अक्सर जो बसे होते हैं सांसों में
दिखते नहीं, हाथ की लकीरों में

मरी तितली के पँख सा अक्सर
ख्वाहिशें मिलती हैं किताबों में

जो चाहो वो मिल जाता है बस
ईश्क़ नहीं मिलता दुकानों में

मिलना है तो आ जाओ जल्दी
वर्ना ढूंढ लेना मुझे सितारों में

तुम आज नहीं तो कल मानोगे
कि मुकेश जैसे होते हैं लाखों में



मुकेश इलाहाबादी ----

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