अक्सर जो बसे होते हैं सांसों में
दिखते नहीं, हाथ की लकीरों में
मरी तितली के पँख सा अक्सर
ख्वाहिशें मिलती हैं किताबों में
जो चाहो वो मिल जाता है बस
ईश्क़ नहीं मिलता दुकानों में
मिलना है तो आ जाओ जल्दी
वर्ना ढूंढ लेना मुझे सितारों में
तुम आज नहीं तो कल मानोगे
कि मुकेश जैसे होते हैं लाखों में
मुकेश इलाहाबादी ----
दिखते नहीं, हाथ की लकीरों में
मरी तितली के पँख सा अक्सर
ख्वाहिशें मिलती हैं किताबों में
जो चाहो वो मिल जाता है बस
ईश्क़ नहीं मिलता दुकानों में
मिलना है तो आ जाओ जल्दी
वर्ना ढूंढ लेना मुझे सितारों में
तुम आज नहीं तो कल मानोगे
कि मुकेश जैसे होते हैं लाखों में
मुकेश इलाहाबादी ----
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