तुम
चाँद भर होती
मै अपने पर ले कर
उड़ आता तुम तक
और - तुम्हे चूम लौट आता
धरती पे अपने नीड में
गर तुम
चहुँ ओर व्याप्त आकाश भर होती
सच मै किसी घाटी में जा कर
तुझे पुकारता - तेरा नाम लेकर
जब तक तुम न आ जाती मिलने मुझसे
यदि
तुम खुशबू भर होती
ऊगा लेता तुम्हे अपने सहन में
और भीगता शब भर
तुम्हारी रातरानी खुशबू से
गर तुम
गुब्बारा होती तो
ले तुझे अपने हाथो में
खुश होता देर तक किसी बच्चे सा
देखो ! देखो - मुस्कुराओ मत मेरी बातों को सुन के
अगर मुस्कुराना ही है तो
आओ मेरे पास बैठो - और मुस्काओ
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
चाँद भर होती
मै अपने पर ले कर
उड़ आता तुम तक
और - तुम्हे चूम लौट आता
धरती पे अपने नीड में
गर तुम
चहुँ ओर व्याप्त आकाश भर होती
सच मै किसी घाटी में जा कर
तुझे पुकारता - तेरा नाम लेकर
जब तक तुम न आ जाती मिलने मुझसे
यदि
तुम खुशबू भर होती
ऊगा लेता तुम्हे अपने सहन में
और भीगता शब भर
तुम्हारी रातरानी खुशबू से
गर तुम
गुब्बारा होती तो
ले तुझे अपने हाथो में
खुश होता देर तक किसी बच्चे सा
देखो ! देखो - मुस्कुराओ मत मेरी बातों को सुन के
अगर मुस्कुराना ही है तो
आओ मेरे पास बैठो - और मुस्काओ
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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