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Wednesday, 8 August 2018

तुम, अगर रूप भर होते

तुम,
अगर रूप भर होते
ढूंढ लेता तुमसे अधिक रूपवान

तुम खुशबू भर होते,
मै साथ हो लेता गेंदा गुलाब के साथ

गर तुम स्पर्श भर होते
फ़ागुन की हवा तुमसे ज़्यदा मादक है

पर तुम तो
रूप,स्पर्श और खुशबू से भी कंही बहुत ज़्यादा हो

ज़्यादा ही नहीं - सब कुछ हो - सुब कुछ

मुकेश इलाहाबादी -------------------------


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