रोज ,
रात - एक खूबसूरत परी आती है
ख्वाबों में
जो देर तक हंसती है
खिलखिलाती है
इठलाती है
जाते - जाते रख जाती है
ढेर सारी - कविताएं
मेरी पलकों पे
जिन्हे सुबह उठते ही
कागज़ पे उतार लेता हूँ
जिसे आप मेरी कवितांए समझती हैं
(अब उस परी का नाम मत पूंछना
जिसका नाम सुमी है -
और आँखे बड़ी बड़ी
और बड़ा मासूम सा चेहरा है
मुकेश इलाहाबादी ---------
रात - एक खूबसूरत परी आती है
ख्वाबों में
जो देर तक हंसती है
खिलखिलाती है
इठलाती है
जाते - जाते रख जाती है
ढेर सारी - कविताएं
मेरी पलकों पे
जिन्हे सुबह उठते ही
कागज़ पे उतार लेता हूँ
जिसे आप मेरी कवितांए समझती हैं
(अब उस परी का नाम मत पूंछना
जिसका नाम सुमी है -
और आँखे बड़ी बड़ी
और बड़ा मासूम सा चेहरा है
मुकेश इलाहाबादी ---------
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