तुम बिन उचटा-उचटा मन
कंही भी तो नहीं लगता मन
तुम पास बैठी रहो हर दम
तुझे देखता रहूँ चाहता मन
तेरा नाम मेरी हथेली पे नहीं
ये बात क्यूँ नहीं मानता मन
तुम खिलखिला देती हो तो
है दिन भर खुश रहता मन
कभी मेरी धड़कने सुन लो
देखो तो, क्या कहता मन
मुकेश इलाहाबादी --------
कंही भी तो नहीं लगता मन
तुम पास बैठी रहो हर दम
तुझे देखता रहूँ चाहता मन
तेरा नाम मेरी हथेली पे नहीं
ये बात क्यूँ नहीं मानता मन
तुम खिलखिला देती हो तो
है दिन भर खुश रहता मन
कभी मेरी धड़कने सुन लो
देखो तो, क्या कहता मन
मुकेश इलाहाबादी --------
No comments:
Post a Comment