Pages

Friday, 30 November 2018

दिन सितारों ने चाँद से कहा

इक,
दिन सितारों ने
चाँद से कहा
"तुम बेवज़ह ख़ुद पे इतराया न करो
तुमसे ज़्यादा खूबसूरत और हसीन चाँद ज़मीन पे हमने देखा है,
तुम्हारे चेहरे पे तो दाग़ ही दाग़ हैं
पर उस ज़मी के चाँद का चेहरा बेदाग़ है
तुम तो सूरज की रोशनी पा के चमकते हो
वो तो अपनी चमक से चमकता है
तुम उगते हो तो तुम्हारी चाँदनी सिर्फ धरती तक जाती है
उस ज़मी के चाँद की चमक तो पूरे क़ायनात तक है
तुम कभी घट के तो कभी बढ़ के तमाम अदाएं दिखाते हो
उस ज़मी के चाँद की तो हर बात ही अदा है
वो चाहे - सादगी हो
मुस्कुराना हो
चुप रहना हो
की घूंघट में हो
या बे नक़ाब हो
सच उस ज़मी
सच उस ज़मी के चाँद के दीदार को
इंसान ही नहीं
फ़रिश्ते भी तरसते हैं
और हम भी अब तो उसी के दीदार को तरसते हैं

ये सुन के चाँद
बहुत दुःखी हुआ
और तब से सितारों से ख़फ़ा है
पर जब उसने पूछा
कि वो कौन सा ऐसा चाँद है
जो मुझसे ज़्यादा हँसी और प्यारा है

तो सभी सितारों ने
एक साथ कहा - "सुमी है ! सुमी है ! सुमी है !"

सुन रही हो न मेरी प्यारी सुमी ??


मुकेश इलाहाबादी -------------------------

No comments:

Post a Comment