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Tuesday, 4 December 2018

मुझको झूठी तसल्ली दे के गया

मुझको झूठी तसल्ली दे के गया
वो लौट कर आएगा कह दे गया

मै मुफ़लिस मेरे पास कुछ न था
जो चैनो शुकूँ था, वो भी ले गया

मैंने समझा,मुझे पार ले जाएगा
चढ़ी नदी नाव मै ख़ुद खे के गया

जी तो न था बेवफा से मिलने का
दिल से मज़बूर था इस लिये गया

लड़ लेता झगड़ लेता ग़म न होता
ग़म ये मुझे अनदेखा कर के गया

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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