ईश्वर
से कुछ माँगते वक़्त
तुम्हारा ही ख़्याल क्यूँ आता है ?
मद्धिम - मद्धिम हवा चल रही हो
और मौसम खुशगवार हो तो
ये मन तुम्हारा ही साथ क्यूँ चाहता है ?
सुःख - दुःख तुमसे ही
बतियाने को जी क्यूँ चाहता है ?
मौसम की पहली बारिस में
तुझ संग भीगने की जी करता है
जाने क्यूँ
होली में सबसे पहले
तेरे ही गालों पे गुलाल मलने का
जी क्यूँ करता है ?
सुमी ! क्या तुझ संग भी ऐसा कुछ होता है ????
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
से कुछ माँगते वक़्त
तुम्हारा ही ख़्याल क्यूँ आता है ?
मद्धिम - मद्धिम हवा चल रही हो
और मौसम खुशगवार हो तो
ये मन तुम्हारा ही साथ क्यूँ चाहता है ?
सुःख - दुःख तुमसे ही
बतियाने को जी क्यूँ चाहता है ?
मौसम की पहली बारिस में
तुझ संग भीगने की जी करता है
जाने क्यूँ
होली में सबसे पहले
तेरे ही गालों पे गुलाल मलने का
जी क्यूँ करता है ?
सुमी ! क्या तुझ संग भी ऐसा कुछ होता है ????
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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