इक
बेवफ़ा के लिये इतना परेशान क्यूँ है
ऐ दिल तू ही बता,
तू इतना नादान क्यूँ है
बेवफ़ा के लिये इतना परेशान क्यूँ है
ऐ दिल तू ही बता,
तू इतना नादान क्यूँ है
परिंदा उड़ - उड़ के
पूछ रहा है,
चाँद से
तेरे मेरे बीच
इतना बड़ा
आसमान क्यूँ है
पूछ रहा है,
चाँद से
तेरे मेरे बीच
इतना बड़ा
आसमान क्यूँ है
जब हर शख्स को
सच पसंद है, तो
दुनिया इतनी
बेईमान क्यूँ है
सच पसंद है, तो
दुनिया इतनी
बेईमान क्यूँ है
यहां लोग
महफिल सजाये बैठे हैं
फिर, सबके दिल
इतने वीरान क्यूँ हैं
महफिल सजाये बैठे हैं
फिर, सबके दिल
इतने वीरान क्यूँ हैं
मुकेश इलाहाबादी,,,,,
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