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Monday, 20 April 2020

दोनों में खूब यारी है खूब बातें होती हैं

दोनों में खूब यारी है खूब बातें होती हैं
मेरी तनहाई होती है तेरी यादें होती हैं

बीते लम्हे आँखों - आँखों में जीती हैं
फिर लम्बी ख़ामोशी औ आहें होती हैं

सीले - सीले दिन भीगी -भीगी सांझ
मत पूछो  कैसी हिज़्र की रातें होती है

मै समझूँ कि तू है मेरे पहलू में पर
आँखें खोलूं रीती -रीती बाहें होती हैं

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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