दोनों में खूब यारी है खूब बातें होती हैं
मेरी तनहाई होती है तेरी यादें होती हैं
बीते लम्हे आँखों - आँखों में जीती हैं
फिर लम्बी ख़ामोशी औ आहें होती हैं
सीले - सीले दिन भीगी -भीगी सांझ
मत पूछो कैसी हिज़्र की रातें होती है
मै समझूँ कि तू है मेरे पहलू में पर
आँखें खोलूं रीती -रीती बाहें होती हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
मेरी तनहाई होती है तेरी यादें होती हैं
बीते लम्हे आँखों - आँखों में जीती हैं
फिर लम्बी ख़ामोशी औ आहें होती हैं
सीले - सीले दिन भीगी -भीगी सांझ
मत पूछो कैसी हिज़्र की रातें होती है
मै समझूँ कि तू है मेरे पहलू में पर
आँखें खोलूं रीती -रीती बाहें होती हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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