सुमी ,
परवरदिगार ने पहले- पहल जब
क़ायनात बनाई तो
उसने ज़मी के लिए सूरज
और
फलक के लिए चाँद बनाया
ताकि दोनों जगह रोशनी हो सके
चाँद पा के सितारे बहुत खुश थे
वे अक्सर ज़मी से कहते
तुम्हारे पास रोशनी के लिये तो
सूरज है
दिन भर जो जलता ही रहता है
और वो देखने में तो उजला लगता लगा है
पर पास जाओ तो
उसका रंग स्याह है
ये सुन ज़मी वाले बेइंतहां
उदास हो जाते
वे सितारों से कुछ न कह पाते
एक दिन जब फिर
सितारों ने
उलाहना दिया सूरज का
तो ज़मी वाले परवरदिगार के पास
अपनी ये दास्ताँ ले के गए
और ,,,,
तब खुदा ने ज़मी के लिए भी
एक चाँद मुक़र्रर किया
और कहा " ऐ ज़मी वालों
मै तुम लोगों के लिए जो चाँद दूंगा
वो न केवल बेहद खूबसूरत होगा
उसके चेहरे पे कोइ दाग़ न होगा
उसकी रोशनी कभी कम या ज़्यादा भी न होगी
अरु तो और उसमे खुशबू भी होगी "
ये सुन ज़मी वाले बेहद खुश हुए और वे
खुशी - खुशी ज़मी पे लौट आए
जानती हो बाद उसके परवरदिगार ने जो
चाँद भेजा
वो चाँद तुम हो
तुम हो
तुम हो
तुम हो सुमी
और जानती हो सुमी ??
दिन से ही सितारे बेहद उदास रहने लगे
उनकी रोशनी भी बेहद कम हो गयी
और चाँद का भी " मुँह टेड़ा हो गया"
वरना वो तो पहले हमेशा पूनम के चाँद सा गोल और
चमकीला होता था
तब से ज़मी के लोग बेहद खुश है
क्यूँ की उसके चाँद में रजनीगंधा सी खुशबू भी है
फलक के चाँद सी ख़ूबसूरती भी है
तो
ऐ मेरी चाँद
आज की शब् तो छत पे आ जाओ
ताकि हमारी बिन तारीख की ईद हो जाए
क्यूँ सुन रही हो न
मेरी चाँद
मेरी सुमी ??????
मुकेश इलाहाबादी --------------
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