ये और बात जुबान नहीं रखता आईना
हमेशा सच को सच है दिखाता आईना
ऐसा भी नहीं कि कुछ नहीं बोलता है
सुनोगे तो बहुत कुछ बोलेगा आईना
बेवजह हाथ तुम्हारे ज़ख़्मी हो जाएंगे
मत छू मुझे मै हूँ चटका हुआ आईना
किसी और आईने की जरूरत ही नहीं
अपने दिल को ही बना लिया आईना
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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