Pages

Wednesday 15 February 2012

आकाश मेरी छत














बैठे ठाले की तरंग -------------
आकाश मेरी छत, धरती मेरा कमरा
और कोइ घर मुझे अच्छा नहीं लगता
मुकेश इलाहाबादी --------------------

No comments:

Post a Comment