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Friday 24 May 2013

तू लाख चाहे या न चाहे

 


तू लाख चाहे या न चाहे अफ़साना बन ही जाएगा तेरी मुहब्बत का
ज़माना इतना भी मासूम नही जो तेरी बेकरारी का शबब न समझे
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------------------------

Friday 17 May 2013

बनाकर तेरी आखों को आईना नही देखा



बनाकर  तेरी आखों को आईना नही  देखा
मुद्दतों  हुई  हमने  अपना चेहरा नहीं देखा

बहुत  दिनो  से   यह मैदान खाली पडा है
कई बरसों से यहाँ मेला लगता नही देखा

शायद मौसम भी खफा है ज़माने से,तभी
बादलों  को  झूम कर बरसता नहीं देखा

न अब वो पीने वाले हैं औ न पिलाने वाले
महफ़िल मे किसी रिंद को झूमता नहीं देखा

रात भर जाग कर सुबह को  नींद आती है
कई दिनों से सूरज को उगता नहीं देखा

मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

Sunday 12 May 2013

जब रात सिसक सिसक के रोती है


 


जब शब्  भर रात सिसकती है
तब  पत्ती पे  ओस  चमकती है

जब  मेहनत  से  गिरे पसीना
मोती  बिन  सीप  निकलती है

लाज का घूंघट ओढ के बैठी
उसकी बेंदी बहुत दमकती है

सर्दी गरमी बसंत और बारिस
मौसम कितने रुप बदलती है

ओढ के चूनर  धानी  हंसती
जमी सजती और संवरती है

मुकेश  इलाहाबादी ................

साथ सितारों के संग खिला करते थे

 

साथ सितारों के संग खिला करते थे
कभी हम भी चाँद हुआ करते थे
अब तुमसे क्या बताऊँ दोस्त कभी
हम भी उनके अपने हुआ करते थे
मुकेश इलाहाबादी --------------------

ज़ख्मो के निशाँ बचाए रक्खा है


ज़ख्मो के निशाँ  बचाए रक्खा है
यादों को हमने  सजाये रक्खा  है

सूरज ने छिटका रखी है कड़ी धुप
तेरे लिए मैंने छांह छुपाये रक्खा है

यूँ तो गुलशन महका  महका है पर
तेरे लिए मन धुप जलाए रक्खा है

दुनिया भर से अकडा - २ रहता हूँ
तेरे दर पे तो सर झुकाए रक्खा है

मुकेश इलाहाबादी -------------------



Saturday 11 May 2013

मेरा यार बड़ा नखरीला है

 

मेरा यार बड़ा नखरीला है
प्यार ये उसका पहला है;

जुल्फें उसकी काली काली
पर आखों का रंग नीला है

कदमो मे दिल बिछा दिया
प्रेम पंथ जो पथरीला है

बातें करता सीधी - साधी
पर आदत से शरमीला है

हम दोनो हैं लैला मजनू
राज़ ये खुल्लम खुल्ला है

मुकेश इलाहाबादी -------

मुख़्तसर सी मुलाकात थी,


 



मुख़्तसर सी मुलाकात थी,
मगर ज़िन्दगी भर याद थी

पैरों तले रौंदा गया उम्र भर 
उसके लिए महज़ घास थी

कतरा-२ गल गयी रात भर,
सहर होने की पर आस थी 

ग़म से तरबतर था चेहरा
चेहरे पे लेकिन उजास थी

हुई थी वो जिस दिन जुदा
सुबह से ही वह  उदास थी

मुकेश इलाहाबादी --------

Friday 10 May 2013

ये तेरी अलसाई हुई आखें हैं या अधखिली कलियाँ




ये तेरी अलसाई हुई आखें हैं या अधखिली कलियाँ
अच्छा हुआ हम भौंरे न हुए वर्ना चूम लेता इन आखों को
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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ये तुम मेरी शरारती आखों से पूछो, काश

  

छेड़ छाड -----
ये तुम मेरी शरारती आखों से पूछो, काश
तुम मेरी महबूबा होती तो क्या क्या करता

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

माना हम महफूज़ हैं तेरे दिलो दिमाग मे हर वक़्त


 






माना हम महफूज़ हैं तेरे दिलो दिमाग मे हर वक़्त
वस्ल ऐ  हकीकत भी तो कोई चीज़ हुआ करती है,,
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

बन न जाए कहीं ये मुहब्बत तेरी रुसवाइयों का शबब,


 



बन न जाए कहीं ये मुहब्बत तेरी रुसवाइयों का  शबब,
वरना और तो कोई वज़ह न थी उसके चले जाने की 
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------------

फैलसा अब तो मुहब्बत का,मेरे हक मे होने से रहा











































फैलसा अब तो मुहब्बत का,मेरे हक मे होने से रहा
ज़माना ही नहीं फरिस्ते भी तेरी गवाही देने आये हैं
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------------


मेरे होठो की हंसी से तुम क्या समझोगे

  
























मेरे होठो की हंसी से तुम क्या समझोगे
रात हम कितना रो रो के आये हैं !!!!!!!
मुकेश इलाहाबादी --------------------------








अपनी धुन का पक्का है


 


















अपनी धुन का पक्का है
मन का लेकिन सच्चा है

थोडा गुस्सा थोडा प्यार
दिल तो उसका बच्चा है

कभी न उतरे तेरा रंग,,
रंग तेरा इतना पक्का है

तेरी महकी - 2 साँसों से
दिल धडके जैसे पत्ता है

 बातें तेरी मीठी मीठी पर
 बोसा तेरा खट मिट्ठा है

मुकेश इलाहाबादी -------


Thursday 9 May 2013

खुदा कैसे लिख देता तुझे मेरे हाथो की लकीरों मे

खुदा कैसे लिख देता तुझे मेरे हाथो की लकीरों मे
कि फरिस्तों का भी दिल जो आ गया था तुझपे
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------

अक्सर मुहब्बत मे होते हैं इत्तिफाक ऐसे ऐसे

 
 
 
अक्सर मुहब्बत मे होते हैं इत्तिफाक ऐसे ऐसे,,
अजनबी भी हो जाते हैं दिल के करीब होते होते
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

शहंशाह तो हम भी अपने दिल के रहे,मुकेश ,


 


शहंशाह तो हम  भी अपने दिल के  रहे,मुकेश ,
ये अलग बात हमे कोई मुमताज़ महल न मिली
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------

ऐ दिल अब तू हो जा उसके हवाले,


 



ऐ दिल अब तू हो जा उसके हवाले,
महफूज़ रखेगा तुझे अपने हाथो मे
मुकेश इलाहाबादी -------------------

कब्र मे भी आते हैं ख्वाब तुम्हारे

 


कब्र मे भी आते हैं ख्वाब तुम्हारे,
मर के भी दिल है कि मानता नही
मुकेश इलाहाबादी ------------------

बड़ी सादगी से दे गया सफाई अपनी






















बड़ी सादगी से दे गया सफाई अपनी 
कि तेरी बर्बादी में मेरा कोई हाथ नही,,
मुकेश इलाहाबादी --------------------


वक़्त के साचे मे कभी ढलना नही आया



वक़्त  के साचे मे कभी ढलना नही आया
पत्थर पे बेवज़ह सिर तोड़ना नहीं आया

चाहूं तो हवा का रुख मोड़ सकता हूँ ,पर
बिन बात मौसम से भी लड़ना नहीं आया

इक बार जो कारवां ले के निकल पड़ता हूँ
फिर बिना मंजिल पाए रुकना नहीं आया

जब तलक कोई दिल के करीब नहीं आता
रिश्तों में ज़ल्दी घुलना मिलना नहीं आया

गुल औ कलियाँ शाख पे ही अच्छी लगती हैं,
उन्हें अपनी खुशी के लिए मसलना नहीं आया

हो कोई भी हाकिम हुक्मरां, आलिम -फ़ाज़िल
मुकेश को हर किसी के आगे झुकना नहीं आया

मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

Wednesday 8 May 2013

न कुछ इस तरह जल सके कि लपटें उठा करें





न कुछ  इस तरह जल सके  कि  लपटें उठा करें
न अंगार की माफिक खुद को जला चमका सके,
फक्त कुछ चिंगारियां सीली लकड़ी से उठा किये।।
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------- 

अपने ख़्वाबों की मंजिल पे निकला था मुसाफिर


 


अपने ख़्वाबों की मंजिल पे निकला था मुसाफिर
देखा जो तेरा दर तो दर पे ठिठक गया ,,,,,,,,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------

बारिस की शाम पुरनम हवा मे फुरसत से बैठे हैं वो




 बारिस की शाम पुरनम हवा मे फुरसत से बैठे हैं वो
चाय की चुस्कियों संग रह रह के याद आता है कोई
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------

मुसलसल बरिसे ग़म रुकेगी कब ??




मुसलसल  बरिसे ग़म रुकेगी कब ??
सोचता है और फिर उदास हो जाता है
 मुकेश इलाहाबादी ---------------------

रह - रह के चिलमन से झाँक आता है वो,

 




















रह - रह के चिलमन से झाँक आता है वो,
दोपहर की सूनी सड़क से कोई आता न हो
मुकेश  इलाहाबादी ---------------------------






Tuesday 7 May 2013

कुछ छोटी छोटी बातें-

कुछ छोटी छोटी बातें-

एक ----

बड़ी हसरत से
अपनी तस्वीर भेजा था उन तक
देख कर बोले --
'हूँ !!! ठीक है, पर कोई ख़ास नही'

दो ----

करो तारीफ़ तो खुश रहते हैं
बात मुहब्बत की आती है तो
त्यौरियां चढ़ा लेते हैं

तीन ----------

चलो हम जोकर ही सही
किसी बहाने तेरे चेहरे पे हंसी तो आयी

मुकेश इलाहाबादी ----------------------------

उम्र गु़जर गयी सलीका न आया,

उम्र गु़जर गयी सलीका न आया,
इज़हारे मुहब्बत का तरीका न आया।

जब जब मिले तब तब कसा ताना,
कसना मुझे एक भी फ़िकरा न आया।

चेहरा आइना, हर बात बता देता,
ग़म को छुपा सकूं तरीका न आया।

ग़लती थी मेरी मै समंदर में कूदा,
बहुत तैरा मग़र किनारा न आया।

फूल सा दिल तोड़ा फिर मसला गया,
काटों सा उंगलियों में चुभना न आया।

कभी क़ाफिया तंग कभी रदीफ़ ज्यादा,
ज़िंदगी एक ग़ज़ल लिखना न आया

मुकेश इलाहाबादी ------------------------

Monday 6 May 2013

उनसे कह दो ख़्वाबों मे तो आ जाएँ

 























उनसे कह दो ख़्वाबों मे तो  आ जाएँ
कि नींद अब किसी करवट आती नही
मुकेश इलाहाबादी ----------------------


अपने आँचल को तुम ज़रा आहिस्ता लहराना

 





















अपने आँचल को तुम ज़रा आहिस्ता लहराना
तेरी दहलीज़ पे अपनी चाहतों का मासूम दिया रख आये हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------------

ये बीमारे दिल अब तेरी यादों की बदौलत ज़िंदा है


 
















ये बीमारे दिल अब तेरी यादों की बदौलत ज़िंदा है
वरना अब कोई दवाई या नुस्खा असर नहीं करता
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

तेरी चाहत के बदले जो भी देना चाहूं कमतर लगे

























तेरी चाहत के बदले जो भी देना चाहूं कमतर लगे है
एक जाँ थी अपनी वो भी अब तेरी अमानत है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------

जी तो चाहे है तेरी तस्वीर सिरहाने रख के सो जाऊं

जी तो चाहे है तेरी तस्वीर सिरहाने रख के सो जाऊं
ज़िन्दगी तो तल्ख़ है, कुछ ख्वाब ही सुहाने आ जाएँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

Sunday 5 May 2013

बन के पुतले नमक के हम तो तेरी आखों मे घुल गए

 
 
बन के पुतले नमक के हम तो तेरी आखों मे घुल गए
वरना तेरी आखों के आंसू इस कदर नमकीन न होते !!!
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------

बिखरती हो लम्हा - लम्हा























बिखरती हो लम्हा - लम्हा तुम जिसकी यादों मे,,
समेटता भी तो वही है  तुम्हे  ले के अपनी बाहों मे
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------



पहले तो अपना दामन बचा बचा के चलते हो,,


 



पहले तो अपना दामन बचा बचा के चलते हो,,
फिर ये उम्मीद कि ज़माना तेरे पीछे पीछे आये
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

आज हमने खबर सूनी


 


आज हमने खबर सूनी है
बूते संगमरमर को भी
किसी से मुहब्बत हुई है
मुकेश इलाहाबादी ----

होंगे वे कोई और खुशनसीब

 

होंगे वे कोई और खुशनसीब जो पहले दिल मे फिर ज़िन्दगी मे उतर जाते हैं
हम बदनशीब, बदनाम ठहरे ज़माने मे,जो सिर्फ उनकी नज़रों से उतर जाते हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------------------------------------

संजो लूंगा इनको अपने दिल मे मोतियों की मानिंद

संजो लूंगा इनको अपने दिल मे मोतियों  की मानिंद
कि अब अपने खुशी के आंसू मेरी हथेली में गिरने दो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------------

अब हम इतने भी गुस्ताख नहीं


 

अब हम इतने भी गुस्ताख नहीं
वो  पूछे 'हममे से  कौन बेवफा है ?"
और हम कह दें कि 'आप '
मुकेश इलाहाबादी -----------

सौदे मुहब्बत के बड़े महंगे हुआ करते हैं

 
सौदे मुहब्बत के बड़े महंगे हुआ करते हैं
बात ये बेवफाई करने वाले क्या समझेंगे
मुकेश इलाहाबादी ------------------------

हवाओं मे कसैला धुआँ सूंघता हूं

हवाओं मे कसैला धुआँ सूंघता हूं
फजाओं मे तेरी महक ढूंढता हूं

भटकता हूं तेरे कूचे मे कब से
हर एक से तेरा पता पूंछता हूं

इक बार तेरी ऑखों से पी थी
अब तक तेरे नषे मे झूमता हूं

मुसलसल पडती हैं यादों की चोटे
पत्थर सही पै हर रोज टूटता हूं

गर झूठ से तख्तेताउस भी मिले,
तो ऐसी बाद्शाहियत पे थूंकता हूं


मुकेश इलाहाबादी -------------------

यूँ बिजलियाँ गिराते हुए तुम न आया करो

 



यूँ बिजलियाँ गिराते हुए तुम न आया करो
बेवज़ह राह के सूखे शज़र जल जायेंगे ,,,,,,
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------

क्यूँ लिए फिरा करते हो साथ अपने

 



क्यूँ लिए फिरा करते हो साथ अपने इतनी जामे मस्ती और मैखाना
रिंद तो होते ही हैं इस फ़िराक मे कंहा है शाकी और  कंहा है मैखाना ?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------------------------------------

Saturday 4 May 2013

तुम उसकी याद मे घर को जला के कहते हो हमने मुहबब्त की







तुम उसकी याद मे घर को जला के कहते हो हमने मुहबब्त की 
हमने तो खुद को ख़ाक कर लिया फिर भी किसी को न खबर की 
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------------------------

Friday 3 May 2013

खुदा से तुझे मांगने की दुआ

खुदा से तुझे मांगने की दुआ खर्तिर हमे तो मस्जिद जाना ही होगा
तुम ही खुदा से मांग लो मुझको खुदा तो तेरे दिल में ही रहता है !!
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------------------

खुदा के बाद लबों पे सिर्फ तेरा ही नाम आया है




















खुदा के बाद लबों पे सिर्फ तेरा ही नाम आया है
किताब ऐ ज़ीस्त मे सिर्फ तेरा ही ज़िक्र पाया है
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------



पास होता हूँ तो





















चल झुट्ठी -
पास होता हूँ तो मुह चिढ़ा के भाग जाती हो
चला जाता हूँ जो दूर तो रो रो के बुलाती हो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------


कौन कहता है, हम तुझसे जुदा हैं ?




















कौन कहता है, हम तुझसे जुदा हैं  ?
तू अपनी जुल्फों मे तो देख
खुशबू सा बसे हैं, ज़रा
अपनी पलकों मे तो देख
काजल सा रचे बसे हैं
अपनी आखों मे तो  देखो
मासूम शरारत लिए दिए बैठा हूँ
अपने ने मूंगे जैसे होठो पे तो नज़र डालो
ये, मुहब्बत  बन के कौन गुनगुनाता है ?
फिर भी तेरी शिकायत है
की मै तुझसे जुदा हूँ
तो चल रात ख़्वाबों के घोड़े पे 
उड़ के आ जाऊँगा
फिर भी दिल न भरे तो
जिस दिन तू बुलायेगी
अपनी दो टकिया दी नौकरी
छोड़ के तेरे पहलू मे
चला जाऊंगा

मुकेश इलाहाबादी ------------------------


तुमसे कितनी बार कहा



















तुमसे कितनी बार कहा
यूँ रेत् पे तुम नाम लिख के
अपने ख़्वाबों का घरौंदा न बनाया करो
वरना ये ज़ालिम समंदर और
बेख़ौफ़ हवाएं हर बार
तेरे ख्वाब तुझसे छीन ले जायेंगे 
और फिर तू
हथिलियों मे मुह छुपा के रोयेगी
या फिर अकेले मे सिसकियाँ लेगी
लिहाजा इस बार तू 
मेरे सीने पे,
उँगलियों की पोरों को
अपनी साँसों मे डूबा के
अपना और मेरा नाम लिखना
फिर हौले हौले
अपनी पसंद का घरौंदा कह सुनाना
फिर देखता हूँ .
तेरे ये ख्वाब कौन तोड़ता है

मुकेश इलाहाबादी ------------

न कर भूल मुहब्बत को छुपा रखने की ऐ दोस्त















न कर भूल मुहब्बत को छुपा रखने की ऐ दोस्त
वरना ज़िन्दगी भर पछताएगा मुकेश की तरह
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------

Thursday 2 May 2013

तूफ़ान ऐ मुहब्बत उनके दिल मे क्या आयेगा















तूफ़ान ऐ मुहब्बत उनके दिल मे क्या आयेगा ?
बारिश भी उनके शहर मे थम थम के होती है !!
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------

अजीब है चाहत अपनी, क्या बताऊँ


















अजीब है  चाहत अपनी, क्या बताऊँ
दुनिया को जीत कर उससे हार जाऊं
मुकेश इलाहाबादी --------------------





इन राहों पे अपने कदम ज़रा आहिस्ता रखिये




इन राहों पे अपने कदम ज़रा आहिस्ता रखिये
न जाने किस -२ का दिल बिछा हो इन रस्तो पे
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

हम मीर नही ग़ालिब नहीं सौदा नही
























हम मीर नही ग़ालिब नहीं सौदा नही
ग़ज़ल कहने का फन हमें आता नही

चाँद रूठा आफताब रूठा अब हवा रूठी
रूठे हैं क्यूँ वज़ह कोई हमे बताता नही

इश्क से भी तुम मरहूम हुए मुकेश जी
तहजीबे मुहब्बत तुम्हे कभी आया नही

मुकेश इलाहाबादी ------------------

Wednesday 1 May 2013

औरत को महज़ बिस्तर मत समझिये,

 


औरत को महज़ बिस्तर मत समझिये,
अब इसे किसी से कमतर मत समझिये

किसी बच्ची की जाँ और अस्मत गयी है
इस बात को फकत  खबर मत समझिये

नश्तर बन के सीने मे उतर जायेगी,अब
औरत को फूलों का शजर मत समझिये

दफ़न हैं यहाँ किसी के नाज़ुक एहसास! 
मियाँ  इसे सिर्फ  कबर मत समझिये

बात करने का लहज़ा उसका सख्त है  
पर मुकेश को  पत्थर मत समझिये।।

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

तेरा गैरों से यूँ बात करने का ये लहज़ा हमें अच्छा न लगा

तेरा गैरों से यूँ बात करने का ये लहज़ा हमें अच्छा न लगा
कुछ नरम लहजा मेरे लिए भी होता तो इतना बुरा न लगता
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------------------