एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday 30 September 2013
गम नहीं कि मेरे इश्क का चर्चा हुआ,,
गम नहीं कि मेरे इश्क का चर्चा हुआ,,
गम है मेरे एहसासों को समझा न गया
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
मुक्त केश संदल त्वचा, अधरों पे मुस्कान
मुक्त केश संदल त्वचा, अधरों पे मुस्कान
गोरी,वक्र भौंहे ऐसी लगें जैसे तीर कमान
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
Friday 27 September 2013
आँख भर आती है जब कोई मुहब्बत से देखता है
आँख भर आती है जब कोई मुहब्बत से देखता है
कि अब आदत सी हो गयी है बेरुखी सहने की
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
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