Pages

Thursday, 2 May 2013

हम मीर नही ग़ालिब नहीं सौदा नही
























हम मीर नही ग़ालिब नहीं सौदा नही
ग़ज़ल कहने का फन हमें आता नही

चाँद रूठा आफताब रूठा अब हवा रूठी
रूठे हैं क्यूँ वज़ह कोई हमे बताता नही

इश्क से भी तुम मरहूम हुए मुकेश जी
तहजीबे मुहब्बत तुम्हे कभी आया नही

मुकेश इलाहाबादी ------------------

No comments:

Post a Comment