Pages

Monday 27 February 2012

सफर कि इतनी तैयारी न कर, चल तू

 
 
 
सफ़र के मुताल्लिक पेशेखिदमत है, चंद
पंक्तियाँ ------------

सफर कि इतनी तैयारी न कर, चल तू
धूप सर पे आये इसके पहले, चल तू

कुछ वैर्फस व कोल्ड़िंक भी साथ रख तू
मॉ, प्याज,सत्तू,चबैना अपने घर रख तू

वक्त जरुरत को ही बचाये थे चंद पैसे
सफर मे काम आयगें साथ अपने रख तू

धूप, हवा और पानी कुछ न कर पायेगें
सफर में इरादा बुलंद रख, फिर चल तू

अब उंट, घोड़े, बैलगाडी की न कर बातें
रेल व हवाईजहाज मे सफर कर, चल तू

सफ़र कैसा भी हो तन्हा न काट पायेगंे
कम अज कम एक साथी, साथ रख तू

इतनी भी बेफिक्री ठीक नही कारवां में
सफर मे है, कुछ तो एहतियात रख तू

ये ज़रुरी नही कारवां में ही चल तू
तू सही है तो अकेला ही चला चल तू

मंजिल तक साथ कुछ न साथ जायगा
बस थोडी़ नेकी व इसानियत साथ रख तू

हवा में न उड़ा, कुछ मेरी बात भी सुन तू
रह गुजर था कभी ये सबक साथ रख तू

मुकेश इलाहाबादी

No comments:

Post a Comment