देख तमाशा, दुनिया का
‘मंच पे नट नटी व सभी कलाकार समवेत गान करते हैं’
सभी नमस्क्रत्यम गजाननम नमस्क्रत्यम चतुर्भेर्न्यम
नमस्क्रत्यम भरतमुनेश्रच च नाटय षस्त्रमापि।
यदयपि समस्त ज्ञान विज्ञानं चर्तुवेदं सष्लिष्टह
तदयपि भरतमुनेश्रच पंचमवेदं ही विषिष्टह
‘दो पात्र पीछे जाकर मंच पर ही फ्रीज हो जाते हैं’
नट मंगलाचरण तो हो गया
नटी भरत मुनी व नाट्यशाश्त्र की वंदना भी हो गयी
नट तो चलो अब नाटक शुरू किया जाय
नटी हां हां क्यों नही
नट पर अभी दर्शकों की बंदगी तो बाकी है वह हो जाये
नटी हां हां क्यों नही।
‘दोनो दर्शकों से मुखातिब होकर’
नट साहेबान मेहरबान कर्ददान
नटी पीकदान थूकदान रोशनदान ।
नट सबको सलाम अदाब नमस्कार
नटी गुड मार्निग और सश्त्रियकाल
नट मै हूं इस नाटक का नट यानी - सूत्रधार
नटी और मै हूं नटी यानी इसकी सखी।
नट दर्शकों और महानुभावों। आज तक आप लोगों ने एक नही दो नही सैकडों हजारों नाटक देखे होंगे।
नटी दिखाये होंगे। करे होंगे कराये होंगे।
नट पर आज जो नाटक होने वाला है वैसा नाटक नतो आप लोगों ने देखा होगा।
नटी न दिखाया होगा।
नट न करा होगा न कराया होगा।
नटी न सुना होगा न सुनाया होगा
नट पर यह यह बात तो सभी कहते हैं
नटी पर यह बात हम कसम खा के कहते हैं।
नट कसम गीता की कुरान की बाइबिल की
नटी कसम धरती माता की कसम हेन की कसम तेन की।
नट नाटक के नाम पे जो कुछ भी करुंगे सच करेंगें।
नटी सच के सिवाय कुछ भी नही करेंगे।
नट सच कहू इस नाटक मे न तो कोई थीम है
नटी और न कोई कथावस्तु
नट न कोई गीतहै न कोई संगीत
नटी यह न कोई एकांकी है न फुललेंथ
नटी यह न तो हयूमरस प्ले है न तो एबर्सड
नटी पर इसमे एक रवानगी है एक ताजगी है
नट पर इसमे हवा सी सरसराहट है।
नटी नदी सी कलकलाहट है।
नट एक शोखी है एक नजाकत है।
नटी खैर अपनी चीज की क्या तारीफ करें
नट पर क्या करें हमी अपनी चीज की तारीफ न करेंगे तो आप देखेंगे कैसे।
नटी सूत्रधार जी दर्शक जानना चाह रहे हैं इस नाटक मे उददेष्य क्यों नही है। बिना उददेष्य के तो कोई चीज नही होती।
नट अरे भाई जब इस दुनिया का ही कोई उददेष्य नही तो। इस छोटे से नाटक मे ही नाहक क्यों उददेष्य डालना।
नट ठीक कहा आपने हम सभी कुछ न कुछ उददेष्य को ही तो लेकर हैरान परेशान रहते हैं।
नटी प्यारे दर्षकों इसी लिये हम लोग आपलोगों को और हैरान परेषान नही करना चाहतै
नट इसी लिये इस नाटक का कोई उददेष्य नहो।
नटी पर आप इसे मजे ले ले के देखेंगे जरुर।
नट इसके डायलाग को सुनेंगे जरुर।
नट पर अगर आज नही सुनेंगे
नटी तो कल जरुर सुनेंगे।
नटी कल नही तो परसों सुनेंगे।
नटी आप नही सुनेंगे तो आपके लडके बच्चे सुनेंगे
नट नही तो उनके लडके बच्चे सुनेंगे
नटी यहां नही सुनेंगे तो वहां सुनेंगे
नटी पर सुनेंगे जरुर
नट भले आप हमे जेल मे डालदें
नटी किसी काल कोठरी मे बंद करवा दें
नट किसी सुखे कुएं मे फेंकवा दें।
नटी किसी आम या बबूल के पेड़ पे लटकवा दें
नट कानों मे कील ठुकवादें
नटी पर इन सबसे होगा कुछ भी नहीं
नटी होगा कि आप और बहरे होते जायेंगे
नट और हमारी आवाज और बुलंद होती जायेगी।
नटी और एक दिन निनाद करके शंखनाद करके महानद करेगी।
नट तब आप सुनेंगे और जरुर सुनेंगे
नटी इसी लिये हम अपनी बात
नटी मेले मे ठेले मे
नट शहर मे जंगल मे
नटी भीड मे अकेले मे
नट गांव मे दिहात मे
नट गली मे कूंचे मे
नटी इन लोगों से उन लोगों से
नट अपनी बात कहूंगा भले आप सुने या न सुने
नटी ठेंगे से।
नट अरे अरे। तू नाटक की भूमिका ही बांधती रहेगी। या नाटक भी शुरू करेगी।
नटी अरे यह तो मै भूल ही गयी।
नट चलो कोई बात नही। अब और कलाकारों का परिचय हो जाये।
नटी दर्षको। यह जो कलाकार र्फीज हो के खडा है। इसका नाम आप अ ब स द कोई भी रख सकते हैं।
नट या जो आप चाहें
नटी क्योंकि नाम मे क्या रखा है।
नट क्योक नाम तो एक संज्ञा है।
नटी लिहाजा आप हिंदी की पचास मात्रकाओं मे कोई भी इसके लिये चुन सकते हैं।
नट वैसे दुनिया वाले इसे मदारी कहते हैं।
नटी और वह जो दुबला पतला मरियल सा तीसरा पात्र है। इसका भी कोई नाम नही है।
नट पर इसे दुनिया वाले जमूरा कहते हैं
नटी मदारी बहुत होशिआर और दुनियादार आदमी है।
नटी वह चालबाज और हरामी भी है।
नट वह इस जमूरे का हमेषा शोषण करता है।
नटी पर करोगे क्या। यह तो दुनिया का दस्तूर हैं
नटी यंहा तो यही सब चलता है। हर ताकतवर अपने से कमजोर का शोषण करता आया है।
नट सदियों सदियों से। युगों युगों से।
नटी जब यह मदारी भी छोटा था। और खुद जमूरा था।
नट तब उसका उस्ताद भी इसका शोषण करता था।
नटी यह तो बस उसी परंपरा को बढाये जा रहा है
नट खैर --
नटी आप लोग और बोर नहों। अगले सीन का आनंद लें।
नट और हम लोग नेपथ्य मे बैठ कर पानी सानी पीते हैं।
नट मेकप वगैरह ठीक करते है।
नटी और कोआटिस्टों से पूंछते हैं यह सीन कैसा गया।
नट तो लीजिये आप लोग देखें
नटी यानी, देख तमाशा दुनिया का
नट दुनिया का भई दुनिया का
नटी देख तमाषा दुनिया का
‘नट व नटी नेपथ्य मे जाते है।’
‘दोनो पात्र हरकत मे आते हैं।’
जमूरा वस्ताद षहर मे सर्कश आया है
वस्ताद तो---
जमूरा देखने का मन कर रिया है ।
वस्ताद अबे गरीबों के मन नही होते। मजबूरियां होती है।
जमूरा वस्ताद वो मै नही जानता। पर मै सर्कश देखना चारिया हूं।
वस्ताद अबे तेरे को अगर शेर भालू और लोमड़ी ही देखना हे तो जंगल चला जा चिड़ियाद्यर चला जा और अगर वहां नही
जाना चाहता तो संसद भवन चला जा, विधान सभा चला जा, कुछ नही तो नगरपालिका की मीटिंगो मे चला जा।
जमूरा वस्ताद मै आदमखोरों की नही जानवरों की बात कर रहा था।
वस्ताद जमूरे। बेचारे पिंजडे मे बंद जानवरों को देखने मे क्या मजा है। वैसे भी आजकल जानवरों की स्वतंत्रता लेकर
काफी हो हल्ला हो रिया है।
जमूरा उस्ताद वहां जानवरों के अलावा भी बहुत कुछ होता है।
वस्ताद अबे अगर थोडा बहुत झूला झाला और करतब ही देखना है तो सड़क के नट नटी का तमाशा बुरा है ? तू इन
गरीबों की रोजी रोटी क्यों छीनना चाहता है। वे भी तो अपने ही भाई बंधु हैं।
जमूरा आप समझते नही हैं वस्ताद वहां सर्कश के अलावा और भी बहुत कुछ होता है।
वस्ताद अबे तो ऐसा कह न कि तू वहां जवान जवान छोरियों की नंगी टांगे देखना चारिया है।
जमूरा वह बात नही वस्ताद।
वस्ताद अवे तो फिर कौन सी बात है।
जमूरा सुना है। सर्कशों की भी हमारी तरह माली हालत अच्छी नही है।
वस्ताद तो क्या तू उनकी माली हालत ठीक करने का ठेका लेकर आ रिया है।
जमूरा वह बात नही वस्ताद।
वस्ताद अबे तू वह बात नही वह बात नही ही कहता रहेगा की असली बात भी कहेगा।
जमूरा वस्ताद सर्कश भी हमारे तमाषे की तरह एक कला है और अगर हम कलाकार ही एक दूसरे की कला को नही
देखेंगे। सराहेंगे तो फिर हम लोगों की कला कैसे जीवित रहेगी। वैसे भी आजकल लोग सर्कष की जगह। टी.वी और
टवेंटी टवेंटी देखना ज्यादा पसंद करते हैं ।
वस्ताद अबे जमूरे तू इतनी बुद्धिमानी की बातें कब से करने लगा ?
जमूरा अनुभव और मजबूरी सब कुछ सिखा देती है वस्ताद।
वस्ताद अच्छा अच्छा। सर्कष तेा जब जायेगा जायेगा पर अभी तो चल। हम अपना खेल चालू करें। जनता बोर हो रही है।
जमूरा वस्ताद आज तमाषा खेलने का मन नही हो रिया है।
‘वस्ताद जमूरे को एक लात या धौल जमाते हुए’
वस्ताद आज तेरे मन को क्या हो गयेला है। लगता है तू सुबह सुबह ही ठेके पे हो के अरिया है।जमूरा वह बात नही वस्ताद।
वस्ताद तो फिर भांग का अंटा चढा लिया होगा ?
जमूरा वह बात भी नही वस्ताद।
वस्ताद अबे वह बात नही वह बात नही की टेर लगाये रहेगा या असल बात भी बोलेगा।
जमूरा वस्ताद मेरे को इष्क हो गयाला है।
वस्ताद अबे। तेरा दिमाग तो नही फिर गयेला है।
जमुरा नही वस्ताद। सचमुच का इष्क हो गयेला है।
वस्ताद अबे मेढकी को जुकाम ?
जमूरा नही वस्ताद। उस्ताद सचमुच का इष्क हो गयाला है।
वस्ताद अबे कौन सा इश्क ? इश्क मजाजी या इश्क हकीकी ?
जमूरा वस्ताद। वह सब मै नही जानता कि इष्क का भी कोई क्लासीफिकेषन होता है। मै तो सिर्फ उस एक इष्क को जानता
हूं जो फूलों से पेड़ों से पत्तों से हवाओं से छोटो से बड़ों से उंच और नीच से सभी से बराबर किया जाला है।
वस्ताद अबे चल चल आजकल तू बहोत अअंग्रेज़ी झाड़ने लगा है। बहकी बहकी बातें करता है।
जमूरा नही वस्ताद मई सच बात कै रिया हूं।
व्स्ताद अरे जमूरे सच कहने वाले बड़े बड़े मर गये तू कौन पिददी न पिददी का शोरबा ।
जमूरा वस्ताद तुम बात को समझ नही रहे हो।
वस्ताद बात तो मै तेरी बाद मे समझूंगा पर अभी चल चादर ओढ के लेट और तमाशा शुरू कर। कहा न, इतने सारेदर्शक बोर
हो रहे है। यहां तक कि उबासियां भी लेने लगे है। कुछ तो हाल के बाहर जाकर बीड़ी सिगरेट भी फंूकने लगे है।
‘जमूरा दांषनिक अंदाज मे अपनी ही रौ मे’
जमूरा जब दुनिया ही एक तमाशा है तो तमाशे को क्या तमाशा दिखाना ?
वस्ताद ‘झल्लाकर ’ अबे कहा न यह गल्लम सल्लम छोड और तमाशा शुरू कर तमाशा ।
जमूरा ‘उसी रौ मे’ वस्ताद सारी दुनिया मे तमाशा ही तो हो रहा है। मार पीट, उठा पटकट, लड़ाई झगडा हेन तेन और क्या ।
वस्ताद लगता है तेरा दिमाग फिर गयेला है। या फिर गैस शिर मे चढ गयेला है।
‘उस्ताद दर्षकों से’
वस्ताद दर्शकों क्षमा करें। लगता है आज इसने सुबह सुबह ही भांग का अंटा चढा लिये लियेला है।
खैर आप लोग कहीं जायें नही मै अभी इसका नषा उतरवा कर आ रहा हूं। तब तक आप लोग सूत्रधार महोदय को
झेलें।
‘दोनो कलाकार नेपथ्य मे जाते हैं।’
‘नट व नटी का प्रवेश’
नटी देखा न आप लोगों ने
नट नाटक मे एक रवानगी है। एक तरंग हे। एक ताजगी है।
नटी लेकिन अगर आप लोग फिर भी बोर हो रहे हों।
नट बोर हो हो कर कान मे तिनका और नाक मे उंगली कर रहे हों
नटी हांथ पैर बिलावजह हिला रहे हों
नट या इधर उधर शुतुरमुर्ग की तरह गरदन हिला हिला कर अंधेरे मे ही देख दिखा रहे हों
नटी या आगे वाले की सीट पे पैर रख के सो रहे हों
नट या चुरमुरा वैर्फस वगैरह खा रहे हों
नटी या फिर गुटखा पान तंबाकू चबा रहे हों
नट तो यह सब छोड़ बिलकुल एर्लट हो जायें
नटी आगे का सीन देखने के लिये।
नट यानी
नटी ‘गाते हुय’ देख तमाश दुनिया का'
नट दुनिया का भई दुनिया का
नटी देख तमाशा दुनिया का
‘नट नटी का गाते हुये प्रस्थान।’
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