बैठे ठाले की तरंग ----------
मेरे ख़्वाबों में बस्ती क्यूँ हो ?
मेरी यादों में रहती क्यूँ हो ?
ज़ब तुम मुझसे हो गयी जुदा
हर मोड़ पे मिलती क्यूँ हो ?
मेरे गीतों में जब नहीं रवानी
शामो सहर गुनगुनाती क्यूँ हो ?
ज़ख्म भरने की खातिर आया
रह रह के नमक छिड़कती क्यूँ हो ?
ज़ब प्यास नहीं बुझानी थी
झरने सा फिर बहती क्यूँ हो ?
मुकेश इलाहाबादी ---------------
मेरे ख़्वाबों में बस्ती क्यूँ हो ?
मेरी यादों में रहती क्यूँ हो ?
ज़ब तुम मुझसे हो गयी जुदा
हर मोड़ पे मिलती क्यूँ हो ?
मेरे गीतों में जब नहीं रवानी
शामो सहर गुनगुनाती क्यूँ हो ?
ज़ख्म भरने की खातिर आया
रह रह के नमक छिड़कती क्यूँ हो ?
ज़ब प्यास नहीं बुझानी थी
झरने सा फिर बहती क्यूँ हो ?
मुकेश इलाहाबादी ---------------
bahut khubsurat ...
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