Pages

Sunday 1 April 2012

हो गया कंठ मेरा भी नील प्यारे

बैठे ठाले की तरंग -------------------
हो  गया  कंठ  मेरा  भी  नील  प्यारे
जिंदगी में पीया है इतना गरल प्यारे

जिया है शिद्दत से मुहब्बत  को  हमने
होगी मुहब्बत तुम्हारे लिए शगल प्यारे

 

खुद का  वजूद  तक  ख़त्म  हो  जाता है
कि मुहब्बत को मत समझ सरल प्यारे
 
गर  जो  दास्ताने मुहब्बत अपनी सुनाऊँ
हो जायेगी तुम्हारी भी आखें सजल प्यारे

जम  गया  था  पत्थर  सा  दिल  मेरा
ऐ मुकेश, कर दिया मुहब्बत ने तरल प्यारे 

मुकेश इलाहाबादी --------------------------

No comments:

Post a Comment