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Wednesday 11 April 2012

ये अदाएं, ये ज़लवे, और बातों की जादूगरी हमें कंहा आती थी

गुस्ताखी माफ़ !!!
 
ये अदाएं, ये ज़लवे, और बातों की जादूगरी हमें कंहा आती थी
ये तो आपकी सोहबत का असर है,हम कुछ दुनियादार हो गए 
 मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------

1 comment:

  1. बहुत खूब कहा...............

    सादर.

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