एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 11 April 2012
ये अदाएं, ये ज़लवे, और बातों की जादूगरी हमें कंहा आती थी
गुस्ताखी माफ़ !!!
ये अदाएं, ये ज़लवे, और बातों की जादूगरी हमें कंहा आती थी
ये तो आपकी सोहबत का असर है,हम कुछ दुनियादार हो गए
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------------------
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
11 April 2012 at 23:19
बहुत खूब कहा...............
सादर.
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत खूब कहा...............
ReplyDeleteसादर.