एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 16 May 2012
पैगाम ऐ मुहब्बत लाई है हवा
बैठे ठाले की तरंग -------------
पैगाम ऐ मुहब्बत लाई है हवा
उसका बदन छू के आयी है हवा
मुकेश इलाहाबादी -------------
-
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment