Pages

Monday 11 June 2012

गम उदासी और तनहा रात लाई है

बैठे ठाले की तरंग -----------

गम उदासी और तनहा रात लाई है
जिंदगी मेरे लिए क्या क्या सौगात लाई है

समझे थे की, इश्क में गुजरेगी मौज से
पै मुहब्बत मेरे लिए हादसात लाई है

सोचा था अब तो शब् घर सोयेंगे चैन से
रात मेरे लिए आंसुओ की बरसात लाई है

ज़िन्दगी तेरे बिना मुहाल हो गयी
तेरी याद ही है जो मेरे लिए हयात लाई है

मुकेश इलाहाबादी --------------------------

No comments:

Post a Comment