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Sunday, 24 June 2012

नींद से जगाकर -ख्वाब सारे सो गए


बैठे ठाले की तरंग -------------------

नींद से जागकर -ख्वाब सारे सो गए
एक बार फिर हम  तीरगी में खो गए
नीमबाज़ आखो से देख लिया आपने
दुनिया ज़हान छोड़,आपके हम हो गए
मुस्कराहट से हम समझे कुछ और
सुनायी जो दास्ताँ आपने हम रो गए  
मुकेश इलाहाबादी ---------------------

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