बैठे ठाले की तरंग -----------
सूरत अपनी देख कर मन उदास है
चेहरा बदल गया या आईना खराब है
हर सिम्त अभी तक फ़ैली है तीरगी
ये घिर आये बादल या लम्बी रात है
पूछता हूँ हाल तो कुछ बोलते नहीं
हमसे खफा हैं, या कोइ और बात है ?
चला था मंदिर को पहूचता हूँ मैक़दे
रिंद बन गया हूँ या मौसम की बात है ?
मुकेश इलाहाबादी -------------------
सूरत अपनी देख कर मन उदास है
चेहरा बदल गया या आईना खराब है
हर सिम्त अभी तक फ़ैली है तीरगी
ये घिर आये बादल या लम्बी रात है
पूछता हूँ हाल तो कुछ बोलते नहीं
हमसे खफा हैं, या कोइ और बात है ?
चला था मंदिर को पहूचता हूँ मैक़दे
रिंद बन गया हूँ या मौसम की बात है ?
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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