एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 14 August 2012
न मिटने की राजा रखता था
न मिटने की राजा रखता था
रेत पे नज़्म लिखा करता था
सर पे आफताब खिलाकर,
रात चांदनी सा खिला करता था
हथेली पे उम्मीद का दिया जला
वह, तूफानों से लड़ा करता था
मुकेश इलाहाबादी ----------------
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