एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 5 September 2012
वस्ल में पल भर भी न बैठे आराम से
वस्ल में पल भर भी न बैठे आराम से
उम्र भर न फुर्सत मिली फिक्रे ज़हान से
उखडा हुआ पलस्तर औ टूटी हुई दीवारें,
बचाए रखी है हवेली,आंधी औ तूफ़ान से
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment