एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 17 September 2012
तब बेवजह उदास होता हूँ
तब बेवजह उदास होता हूँ
जब दिन भर हंस लेता हूँ
तेरी यादें साथ होती हैं, तो
गुमसुम गुमसुम होता हूँ
जब मौसम पुरनम होता है
तनहा नदी किनारे होता हूँ
एक आसमान नीला नीला
आखों में ठिठका होता है !
मुकेश इलाहाबादी ---------
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