एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Wednesday, 7 November 2012
रात चांदनी मेरे कानो में गुनगुना गयी
रात चांदनी मेरे कानो में गुनगुना गयी
तू मेरी ग़ज़ल पे मुस्कुराती है बता गयी
फकत दिल बहला रहे हो आप साथ मेरे
ये बात भी मुझसे चांदनी फुसफुसा गयी
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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