अपने अन्दर डूब के देखो
धन दौलत भूल के देखो
अकड़ के यूँ न बैठो तुम
धींगा मस्ती कर के देखो
थोडा घर के बाहर आओ
जंगल पर्वत घूम के देखो
बच्चों में भगवान् बसे हैं
प्रेम से उनको चूम के देखो
लाखों मोती छुपे हुए हैं
दिल दरिया में डूब के देखो
मुकेश इलाहाबादी --------
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