एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Wednesday, 13 March 2013
हम ही नासमझ थे वफ़ा चाहते थे
हम ही नासमझ थे वफ़ा चाहते थे
बूत ऐ संगमरमर में जाँ चाहते थे
मुकेश इलाहाबादी ------------------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment