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Wednesday 10 April 2013

जिन बहारों से हमने भेजा पैगाम आपको


जिन बहारों से हमने भेजा पैगाम आपको
 उन हवाओं को देके हवा अपने आँचल की
 उजाड़ा था तुमने आशियाँ हमारा शौक मे
अब कहते हो 'लिख - लिख के हमारा नाम
तुमने ज़िन्दगी गुज़ार दी मेरे ही नाम से ,,
चलो इस बार भी हम ऐतबार कर लेते हैं
तुम्हारे ही हाथो फिर फिर उजाड़ जाने को
मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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